यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे युद्ध का असर अब दिखाई देने लगा है। पेट्रोल, खाद्य तेल के दामों के बाद अब गेहूं के दामों में भी जबर्दस्त उछाल आया है। हालात यह हैं कि ग्लोबल मार्केट में गेहूं कि डिमांड बढ़ने के साथ ही गेहूं की कीमतें एमएसपी से भी ऊपर पहुंच गई हैं। बताया जा रहा है कि इससे भारत के किसानों को फायदा हुआ है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ कहीं-कहीं किसानों को इससे नुकसान भी बता रहे हैं।
भारत के गेहूं की विश्व के कई देशों में मांग बढ़ी है। भारत में खरीद वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल है। लेकिन पिछले करीब एक पखवाड़े से गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब से करीब 4800 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश की मंदसौर मंडी में पिछले 10 दिनों से गेहूं 2200 रुपए के ऊपर बिक रहा है।रूस और यूक्रेन के चलते दुनिया भर चीजों की कीमतों में उठापटक जारी है। क्योंकि ये दोनों देश विश्व के कई देशों में पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, गेहूं, सूरजमुखी समेत कई चीजों के प्रमुख निर्यातक हैं। अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक रुस दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है, जबकि यूक्रेन इस मामले में चौथे नंबर पर है। यूक्रेन से गेहूं खरीदने वाले देशों में पाकिस्तान और बांग्लादेश से लेकर कई खाड़ी के देश भी शामिल हैं। युद्ध के चलते इन दोनों से देशों से कारोबार ठप होने से दुनियाभर के निर्यातक गेहूं की मांग को पूरा करने लिए जिन देशों में संभावनाएं तलाश रहे हैं उनमें भारत भी है। विश्व बाजार में गेहूं की मांग बढ़ने से भाव भी बढ़ गए हैं।
यूक्रेन संकट के पहले ग्लोबल मार्केट में भारतीय गेहूं की रेट 300-310 डॉलर प्रति टन था जो 15 दिन में बढ़कर 360 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गया है। अगर यही हालात रहे तो अगले कुछ दिनों में ये 400 डॉलर प्रति टन पहुंच जाएगा, यानी यानि भारतीय रुपए में 2800 रुपए प्रति क्विंटल। ये किसान और भारत दोनों के लिए अच्छा है। बाजार के जानकारों के मुताबिक गेहूं की आसमान छूती कीमतों ने निर्यात में प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है। भारत में मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से गेहूं (ट्रेन-ट्रकों) से कांडला बंदरगाह के पास गोदामों में भरा जा रहा है। जहां 2500 के आसपास का रेट है जबकि 15 दिन पहले ये रेट 2100 रुपए क्विंटल के आसपास था।
देश में इस बार रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की संभावना
देश में साल 2021-22 में रिकॉर्ड खाद्यान्न 316.06 मिलियन टन होने का अनुमान है। साल 2021-22 में 111.32 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन अनुमानित है, जो साल 2020-21 के 109.5 मिलियन टन से 1.82 मिलियन टन (18.02 लाख टन) ज्यादा है। साल 2020-21 में 343 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी। देश में नई फसल 15 मार्च के बाद से आनी शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार ज्यादातर राज्यों में गेहूं की फसल मौसमी कारणों से लेट है, क्योंकि बुवाई के सीजन से पहले अक्टूबर में कई राज्यों में बारिश हो गई थी। देश में सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू होनी है।