मौसम में बदलाव के साथ ही फरवरी

तापमान बढ़ रहा है… मूंग-उड़द और गर्मियों की सब्जियों की खेती का सही समय

फरवरी में तापमान बढ़ने लगता है, ऐसे में किसान अभी से जायद की मूंग-उड़द जैसी फसलों के गर्मियों में बोई जाने वाली सब्जियों की खेती की तैयारी कर सकते हैं।

मौसम में बदलाव के साथ ही फरवरी महीने में तापमान बढ़ने लगता है। किसान इस समय जायद की मूंग-उड़द जैसी फसलों के गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों और सब्जियों की खेती की तैयारी कर सकते हैं। पिछले कुछ दिनों में तापमान में वृद्धि हुई है, जिसका असर फसलों पर भी पड़ रहा है। आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए मौसम आधारित संबंधित कृषि सलाह जारी की है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए किसानों को सलाह है कि फसलों और सब्जियों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए भिंडी की अगेती बुवाई के लिए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई करें। बुवाई से पहले खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बुवाई के लिए प्रति एकड़ 10-15 किलो बीज का इस्तेमाल करें। मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें। काला, भूरा या फिर पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें। पीला रतुआ के लिए 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान सही होता है। 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान बढ़ने पर रोग का फैलाव नहीं होता। भूरा रतुआ के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमीयुक्त जलवायु आवश्यक है। काला रतुआ के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान और नमी रहित जलवायु आवश्यक है।

चेपा के आक्रमण की रखें निगरानी
तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सभी सब्जियों और सरसों की फसल में चेपा के आक्रमण की निगरानी करें। इस कीट के नियंत्रण के लिए सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25-0.5 मि.ली./लीटर पानी की दर से सब्जियों की तुड़ाई के बाद करें। सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें। मौसम को ध्यान में रखते हुए फ्रेंच बीन, गर्मी के मौसम वाली सब्जियों इत्यादि की सीधी बुवाई के लिए वर्तमान तापमान अनुकूल है क्योंकि बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। किसान उन्नत बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से ही प्राप्त करें। इस मौसम में मूंग और उड़द की फसलों की मार्च में बुवाई के लिए किसान किसी प्रमाणित स्रोत से ही उन्नत बीज लें। मूंग-पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल-32; उड़द– पंत उड़द-19, पंत उड़द-30, पंत उड़द-35, पी डी यू-1। बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम और फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों के तैयार पौधों की रोपाई इस सप्ताह कर सकते हैं।
प्याज का इस तरह करे बचाव
इस मौसम में प्याज की समय से बोयी गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। कीट के पाए जाने पर कांफिडोर @ 0.5 मिली./ 3 ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1.0 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें और नीला धब्बा रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण पाये जाने पर डाएथेन- एम-45 @ 3 ग्रा./ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें। मौसम को ध्यान में रखते हुए टमाटर के फलों को फली छेदक कीट से बचाव के लिए किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए। वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमोन ट्रैप @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। इस मौसम में बैंगन की फसल को प्ररोह और फल छेदक कीट से बचाव के लिए ग्रसित फलों तथा प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड कीटनाशी 48 ई.सी. 1 मिली. प्रति 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। इस मौसम में गेंदे में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है अत: किसान फसल की निगरानी करते रहें यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम-लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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