भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए सलाह जारी की है।

मौसम में बदलाव कर सकता है किसानों को परेशान, इसलिए जरूरी है फसलों की ज्यादा देखभाल

सर्दी का मौसम अब जाने को है, गर्मी पड़ने लगी है और मौसम विभाग बारिश की चेतावनी दे रहा है। इसका असर सीधे तौर पर फसलों पर भी पड़ रहा है। अभी भी कई जगह कोहरे का असर भी देखने को मिल रहा है। मौसम में बदलाव और तापमान में हो रहे उतार-चढ़ाव से फसलों को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है… इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें फसलों को बदलते मौसम से बचाने के लिए सलाह दी है।
तापमान में उतार-चढ़ाव और मौसम में बदलाव के चलते फसलों में कई प्रकार के रोग और कीट लगने शुरू हो जाते हैं। यह समस्या बहुत ज्यादा बढ़ सकती है अगर फसलों की सही से देखभाल नहीं की जाए तो। ऐसे में किसान उपाय करके और कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए सलाह जारी की है। इसमें बताया कि मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें। चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15% फूल खिल गए हों। टी अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाएं। कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पॉलिथीन के थैलों में भर कर पॉलीहाउस में रखें।

बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं। इस मौसम में पालक, धनिया, मैथी की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं। यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त है, इसलिए जिन किसानों ने फसल के लिए उन्नत किस्मों की उच्च गुणवत्ता वाले बीज का प्रयोग किया है और फसल 90-105 दिन की होने वाली है,वे जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में खुदाई करते समय अच्छी, लम्बी गाजर का चुनाव करें, जिनमे पत्ते कम हो। इन गाजरों के पत्तों को 4 इंच का छोड़ कर ऊपर से काट दें। गाजरों का भी ऊपरी 4 इंच हिस्सा रखकर बाकी को काट दें। अब इन बीज वाली गाजरों को 45 सेमी. की दूरी पर कतारों में 6 इंच के अंतराल पर लगाकर पानी लगाए। इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई करें। रोपाई वाले पौध छह सप्ताह से ज्यादा की नहीं होने चाहिए। पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें। रोपाई से 10-15 दिन पूर्व खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें। 20 किलो नाइट्रोजन, 60-70 किलो फ़ॉस्फोरस और 80-100 किलो पोटाश आखिरी जुताई में डालें। पौधों की रोपाई अधिक गहराई में न करें और कतार से कतार की दूरी 15 सेमी. पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी. रखें। गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं। गेंदे की फसल में पॅल सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें। यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर अथवा इन्डोफिल-एम 45 @ 2 मिली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।

कोरोना को लेकर भी दी सलाह
कोरोना संक्रमण को देखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि वे तैयार सब्जियों की तुड़ाई और अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों, व्यक्ति की स्वच्छता, मास्क लगाने, साबुन से हाथ धोने और एक दूसरे से साेशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखने पर ध्यान
दें।

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