किसानों के बैंक खाते में सीधी जाएगी एमएसपी, 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन धान-गेहूं की हाेगी खरीद, रसायनमुक्त प्राकृतिक खेती को देंगे बढ़ावा
अहमदाबाद। केंद्र सरकार का अाम बजट
अहमदाबाद। केंद्र सरकार का आम बजट गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में किसानाें के लिए भी बड़ी घाेषणा करते हुए कहा कि अब एमएसपी सीधे किसानों के बैंक खाते में जाएगी। इस साल यानी वर्ष 2022-23 में 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान सरकार खरीदेगी। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि एमएसपी के जरिये किसानों के खाते में 2.37 लाख करोड़ रुपए सरकार ने जमा कराएं हें। इसके अलावा कीटनाशक मुक्त खेती को बढ़ाने के लिए भी सरकार की अाेर से प्रयास किए जा रहे हैं।
गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में किसानाें के लिए भी बड़ी घाेषणा करते हुए कहा कि अब एमएसपी सीधे किसानों के बैंक खाते में जाएगी। इस साल यानी वर्ष 2022-23 में 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान सरकार खरीदेगी। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि एमएसपी के जरिये किसानों के खाते में 2.37 लाख करोड़ रुपए सरकार ने जमा कराएं हें। इसके अलावा कीटनाशक मुक्त खेती को बढ़ाने के लिए भी सरकार की अाेर से प्रयास किए जा रहे हैं।
किसानाें से जुड़ी ये घाेषणाएं हुई आम बजट में
- नाबार्ड के जरिए किसानों काे मिलेगी फंड की सुविधा।
- स्टार्टअप एफपीओ को सपोर्ट करके किसानों को हाईटेक बनाने के प्रयास किए जाएंगे।
- बजट में वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है।
- किसानों को अब डिजिटल सेवाएं दी जाएंगी।
- किसानों को हाईटेक अाैर डिजिटल बनाने के लिए पीपीपी मोड में कई नई योजनाएं भी शुरू की जाएंगी। यह उन किसानों के लिए होंगी या उन किसानों को सबसे ज्यादा फायदा हाेगा, जाे पब्लिक सेक्टर रिसर्च से जुड़े हैं।
- जीरो बजट खेती और ऑर्गेनिक खेती, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन और प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा।
- किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं प्रदान करने के लिए पीपीपी मॉड में योजना की शुरुआत होगी।
- कृषि में ड्रोन को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल बनाए जाएंगे।
- देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
- फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड, कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग से कृषि और कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की लहर चलने की उम्मीद है।
यह हाेती है एमएसपी
एमएसपी का मतलब मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य हाेता है। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, जिसे एमएसपी कहते हैं। अगर बाजार में फसल की कीमत कम भी हो जाती है, तो भी सरकार किसान को एमएसपी के अनुसार ही फसल का भुगतान करेगी। इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि बाजार में उसे फसल के कितने दाम मिलेंगे।
सरकार इन फसलाें पर देती हैं एमएसपी
सरकार अनाज, दलहन, तिलहन और बाकी फसलों पर एमएसपी देती है। अनाज वाली फसलें- धान, गेहूं, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी, जौ। दलहन फसलें- अरहर, मूंग, उड़द, चना, मसूर। तिलहन फसलें- सरसों, तिल, सूरजमुखी, सोयाबीन, कुसुम और नाइजर या काला तिल, अन्य फसलाें में गन्ना, कपास, जूट, नारियल शामिल है।
किसानाें के लिए इन तीन मद पर 76 फीसदी राशि खर्च करती है सरकार
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि : 65,000 करोड़ रुपए (49%)
- किसानों के लोन पर ब्याज सब्सिडी : 19,468 करोड़ रुपए(15%)
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : 16,000 करोड़ रुपए (12%)