सूरजमुखी की खेती से बढ़ाएं अपनी आमदनी

दोगुना मुनाफा दे रही सूरजमुखी की खेती, आप भी कमाए इस तिलहन फसल से

तिलहन की फसलों में सूरजमुखी भी प्रमुख मानी जाती है। सूरजमुखी अब किसानों के लिए दोगुने मुनाफे का सौदा हो गया है। इस फसल से किसान डबल मुनाफा कमा रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि मार्केट में भी इसकी डिमांड रहती है। सूरजमुखी की खेती के लिए खेत को तैयार करने के लिए लगभग 2-3 जुताई की जरूरत होती है। इसकी खेती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार में बड़े स्तर पर की जा रही है। भारत सरकार भी किसानों को नई फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। ऐसे में किसानों का रुझान सूरजमुखी की खेती की तरफ बढ़ रहा है।

इन राज्यों में होती है इसकी खेती
सूरजमुखी को तिलहन फसलों की श्रेणी का माना जाता हैद्ध इसकी खेती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार में व्यापक रूप से की जाती हैद्इध सके लिए रेतीली दोमट मिट्टी और काली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा मिट्टी का पीएच 6.5 और 8.0 के बीच होना जरूरी है। सूरजमुखी की खेती (Sunflower Farming) के लिए खेत को तैयार करने के लिए लगभग 2-3 जुताई की जरूरत होती है।

बुवाई का समय : जनवरी और फरवरी
सूरजमुखी की बुवाई जनवरी के अंत तक कर देनी चाहिए. यदि आप इसे फरवरी में बो रहे हैं तो बीज का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे उपज कम हो सकती है। प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग करें। पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर तक रखें। वहीं, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंटीमीटर रखना सबसे उपयुक्त है।

इस तरह करें बीज उपचार
खेतों में सूरजमुखी के बीज लगाने से पहले उसका उपचार करना बेहद जरूरी है, नहीं तो कई बीज जनित बीमारियों से फसल खराब हो सकती है। सबसे पहले सूरजमुखी के बीजों को सादे पानी में 24 घंटे के लिए भिगो दें और फिर बुवाई से पहले छाया में सुखा लें। बीजों पर थीरम 2 ग्राम प्रति किग्रा और डाउनी फफूंदी से बचाव के लिए मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किलो जरूर छिड़कें।

कितनी सिंचाई की जरूरत?

आमतौर पर सूरजमुखी की फसल के लिए 9-10 सिंचाइयां आदर्श होती हैं। बार-बार सिंचाई करने से बचें, क्योंकि इससे जड़ सड़ने और मुरझाने का खतरा बढ़ सकता है। भारी मिट्टी को 20-25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। हल्की मिट्टी को 8-10 दिनों के अंतराल पर जरूरत पड़ती है।

ऐसे बढ़ाएं पौधे का विकास

मधुमक्खियां सूरजमुखी की फसल की आदर्श परागणक होती हैं। यदि मधुमक्खियां नहीं हैं, तो वैकल्पिक दिन सुबह के समय हाथ से परागण करना अच्छा होता है। इसके अलावा फसल की खेती के पहले 45 दिनों में आपको खेत को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए। ऐसा करने पर फसल के विकास में तेजी आ जाएगी।

फसल काटने का समय
सूरजमुखी की फसल तब काटी जाती है जब सभी पत्ते सूख जाते हैं और सूरजमुखी के सिर का पिछला भाग नींबू जैसा पीला हो जाता है। देर करने पर दीमक का हमला हो सकता है और फसल बर्बाद हो सकती है। सूरजमुखी के पौधे से तेल निकालने के अलावा दवाओं तक में इसका उपयोग होता है। ऐसे में इसकी खेती करने पर किसान दोगुना लाभ कमा सकते हैं।

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