देश में इस बार जायद फसल बंपर हाेने वाली है।

इस साल 80 लाख हेक्टेयर से ज्यादा हाेगी जायद फसल
अहमदाबाद । देश में इस बार जायद फसल बंपर हाेने वाली है। कृषि विभाग के आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2022 में ‘बोनस फसल’ जायद 80 लाख हेक्टेयर से अधिक में होगी। खरीफ-रबी फसलों की बुवाई-कटाई के बाद फरवरी से मई महीने तक खाली पड़े खेतों में जो फसल लगाई जाती है, उसे जायद कहते हैं। इस मौसम की फसलें तेज धूप और सूखी हवाएं सहन कर सकती हैं। जायद में मक्का, मूंग, मूंगफली जैसी फसलें बाेई जाती हैं। इन दहलनी-तिलहनी फसलों के लिए कृषि मंत्रालय ने व्यापक रणनीति तैयार की है। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक देश में लगभग 53 लाख हेक्टेयर में जायद फसलों की बुवाई होगी। इसमें गर्मियों में लगाई जाने वाली धान का क्षेत्र शामिल नहीं है। वर्ष 2017-18 में जायद फसलों का रकबा 29.71 लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 20-21 में बढ़कर 80.46 लाख हेक्टेयर (धान सहित) हो गया। कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस वर्ष मूंग- 18 लाख हेक्टेयर, मूंगफली – 8 लाख हेक्टेयर, मक्का – 9 लाख हेक्टेयर में लगाने का अनुमान है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक देश की विविध भौगोलिक, एग्रो क्लाइमेटिक परिस्थितियों के अनुसार गर्मियों की फसलें अधिक लेना चाहिए। ये किसानों को कम समय, कम लागत में अतिरिक्त आमदनी देने वाली होती है।

देश में पानी की स्थिति
सेंट्रल वॉटर कमीशन की 20 जनवरी की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 137 जलाशयों में से 119 जलाशय 80 प्रतिशत तक भरे हैं। वर्षा ऋतु के बाद अक्टूबर से जनवरी तक हुई बारिश से जमीन में पर्याप्त मात्रा में नमी है। मौसम विभाग के मुताबिक देश में केवल जनवरी माह में ही वर्षा सामान्य से 195 प्रतिशत अधिक हुई है।

दलहन-तिलहन को बढ़ावा
कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर के अनुसार जायद फसलों में दलहनी एवं तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए टारगेटिंग राइस फाॅलो एरिया प्रोग्राम को 15 राज्यों में फाेकस के साथ बढ़ाया जा रहा है। साथ ही एनएफएसएम के तहत गन्ना और अन्य तिलहनी फसलों में अन्तर्वर्तीय खेती पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना कार्यक्रम में सब्जियों का क्षेत्र भी रहेगा, जिसमें प्रमुख रूप से कद्दूवर्गीय सब्जियां शामिल हैं।
कम नमी वाली फसलाें की ही बुवाई
‘जायद’ फसलों की खेती की सीमाएं भी हैं। इस मौसम में कम नमी की आवश्यकता वाली फसलाें की ही बुवाई की जा सकती है। जहां सिंचाई सुविधाएं हैं, उन क्षेत्रों में ही जायद फसलें हो सकती हैं। गर्मी के मौसम में पशुओं और जंगली जानवरों से भी फसल को बचाना भी मुश्किल काम हाेता है। इसके अलावा फसलों की मौसम अनुकूल किस्मों का अभाव भी जायद में किसानों को जोखिम उठाने से रोकता है। फिर भी किसानों की आमदनी सही अर्थों में दुगुनी करने में जायद की ये बोनस फसलें बड़े मायने रखती हैं और किसानों की समस्याओं से राहत दिलाने में महती भूमिका निभाती है।

जायद फसलें, जानिए किस राज्य में कितनी बुवाई

  • गुजरात – 8.27 लाख हेक्टेयर
  • उत्तर प्रदेश – 6.18 लाख हेक्टेयर
  • पं. बंगाल – 6.53 लाख हेक्टेयर
  • बिहार – 6.08 लाख हेक्टेयर
  • मध्य प्रदेश – 5.62 लाख हेक्टेयर
  • ओडिशा – 4.46 लाख हेक्टेयर
  • तमिलनाडु – 4.26 लाख हेक्टेयर
    (यह आंकडे कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार है।)

मूंग की यह हाेगी बुवाई
मध्यप्रदेश में मूंग जायद में ली जाने वाली बोनस फसल है। यह मध्यप्रदेश में 5 लाख हेक्टेयर, बिहार में 4 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 3 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 1 लाख हेक्टेयर में बुवाई किया जाना प्रस्तावित है।

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