खेत-खलिहान और फसलों को लेकर किसानों के लिए मार्च का महीना बेहद महत्वपूर्ण है

अगला महीना मार्च है किसानों के लिए महत्वपूर्ण, किसान यह जरूर करें

खेत-खलिहान और फसलों को लेकर किसानों के लिए मार्च का महीना बेहद महत्वपूर्ण है। मार्च में कुछ जरूरी कामों और उपायों को करके किसान उन्नत फसल पा सकते हैं, इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स हैं, जिन्हें करना किसानों के लिए जरूरी है। किसानों को पहले ही पता होना चाहिए कि उनकी फसलों के लिए क्या समय अच्छा है और क्या नहीं। मार्च माह में करने वाले कृषि कार्यों संबंधित कुछ जरूरी बातें, जिसकी जानकारी किसानों को होना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं किसान मार्च माह में क्या काम करें और क्या नहीं करें –

गेहूं की फसल
इस माह में गेहूं की फसल में दाना भरने अथवा दाना सख्त होने की अवस्था होती है। इस कारण मिट्टी में नमी की कमी होने लगती है और उपज में भी कमी आ जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि फसलों में जरूरत के हिसाब से ही पानी दें। इसके अलावा गेहूं का मामा (खरपतवार) तथा लूज स्मट (अनावृत कंड) रोग से ग्रसित हुई बालियां (जिसमें बालियाें का रंग काला हो जाता है और वे काले चूर्ण का रूप ले लेती है एवं उसमें दाने नहीं बनते हैं। ) अगर दिखाई पड़े, तो उन्हें तुरंत पॉलीथीन की थैली से ढककर तोड़ लें और फिर उन्हें जलाकर किसी गढ्ढे में दबाकर नष्ट कर दें।

जैट्रोफा की फसल
इसके लिए जितना हो सके समतल क्यारी यानी 15 X 15 सेटीमीटर दूरी पर ही बीज बोएं। बीज बोने से पहले बीजों को किसी बर्तन में 12 घंटे तक अच्छे से भिगोएं, फिर स्वस्थ पौधों का रोपण करें।

गरमा मूंग की फसल
जिन किसानों के पास सिर्फ एक से दो सिंचाई की सुविधा है, वे रबी फसल को काटने के बाद गरमा मूंग की खेती आसानी से कर सकते हैं।

राई/सरसों की फसल
इस माह में राई और सरसों की कटाई 75 फीसदी फलियों के सुनहरे होने पर ही करें। क्योंकि इस अवस्था में दानों में तेल की मात्रा अधिक होती है।

गरमा धान की फसल
इस माह में जितना हो सके खेतों में जल जमाव बनाए रखें। इसकी रोपाई के 25 से 30 दिनों के बाद खरपतवार को नियंत्रित कर यूरिया का बुरकाव करें। इसके साथ कोनोवीडर मशीन को दो पंक्तियों के बीच में आगे-पीछे करते हुए चला दें, इससे खेतों में मौजूद खरपतवार नष्ट होकर मिट्टी में मिल जाएगा और मिट्टी के हल्के होने से वायु के संचार की स्थिति में भी काफी हद तक सुधार होगा।

आलू की फसल
अगर इस माह में आलू पौधे के पत्ते तापमान बढ़ने से पीले होने लगे तो हल से कोड़ाई कर दें। फिर कोड़ाई के बाद आलू कन्दों को छप्परवाले घर में फैला कर कुछ दिन रखें ताकि आलू के छिलके कड़े हो जाए।

लीची की फसल
लीची का फल लगने के एक सप्ताह बाद प्लैनोफिक्स (Planofix) या एनएए (NAA) का एक छिड़काव करके फलों को झड़ने से बचाएं। लीची का फल लगने के महज 15 दिन बाद बोरिक अम्ल (Boric acid) या बोरेक्स के घोल (Borax solution) का 15 दिनों के अंतराल पर तीन बार छिड़काव करने से फलों का झड़ना काफी हद तक कम हो जाता है। इसके साथ फल में मिठास की वृद्धि होती है तथा फल के रंग रूप और आकार में भी सुधार आता है। इसके अलावा फल फटने की समस्या में भी कमी आती है।

चारे की फसल
गर्मी में पशुओं को सुगमता से चारा उपलब्ध कराने के लिए यह समय मक्का, लोबिया तथा चरी की कुछ खास किस्मों की बुवाई के लिए अच्छा है।

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