हर क्षेत्र में विविधता लिया भारत देश खेती-किसानी में भी हर प्रदेश में अलग विविधताओं के साथ आगे बढ़ रहा है। खेती-किसानी में आत्मनिर्भर होता किसान अब खेती में नई-नई तकनीकों के उपयोग के साथ ही समय के साथ नवाचार करते हुए खुद को अपडेट भी कर रहा है। ऐसी ही एक खेती है तिलहन की। यूएन डेटा के अनुसार देश की आबादी 140 करोड़ के पार पहुंच गई है और उनके लिए हर साल बड़े पैमाने पर खाद्य तेल की आवश्यकता पड़ती है। देश की आबादी को देखते हुए भारत में उत्पादन कम है और हर साल भारत सरकार के विदेशों से तेल खरीदना पड़ता है। अभी तिलहन में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि में ही बड़े पैमाने पर सरसों की खेती हो रही है। सरसों की खेती की तरफ किसानों के रूझान के पीछे प्रमुख रूप से विगत वर्ष सरसों का अच्छा भाव मिलना भी है। पिछले साल भारत सरकार द्वारा सरसों फसल के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग डेढ़ से दोगुनी कीमतों पर की सरसों की बिक्री हुई थी। वर्तमान में भी सरसों, सरसों तेल और सरसों खली की कीमतें काफी अच्छी चल रही हैं।
सरकार ने तय किया समर्थन मूल्य
आगामी वर्ष 2022-23 के लिए भारत सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है। पिछले वर्ष की तुलना में 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाए गए हैं। साथ ही आगामी रबी खरीद के लिए सरसों की एमएसपी 5050 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। वहीं सरसों की खेती पर प्रति क्विंटल आने वाली लागत 2523 रुपए मानी गई है। इस प्रकार से किसानों की सरसों यदि एमएसपी दर पर भी बिक जाती है तो प्रति क्विंटल 2527 रुपए की आय होगी। किसानों और कृषि बाजार के जानकारों को पूरी उम्मीद है इस वर्ष भी बाजार में सरसों की कीमतें एमएसपी से ज्यादा ही रहेंगी।
देश में तिलहन की मुख्य फसलें
देश में तिलहन की मुख्य फसलों में मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, तोरिया, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, अलसी, नाइजरसीड्स आदि खाद्य तिलहनी फसलों की खेती की जाती है। उत्पादन और क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से देखा जाए तो देश में खाद्य तेल के रूप में प्रयोग होने वाली फसलों में मूंगफली, सोयाबीन और सरसों प्रमुख तिलहन फसलें हैं। देश में तिलहन के उत्पादन पर नजर डाली जाए तो सोयाबीन का 1.098 करोड़ टन, सरसों का 0.912 करोड़ टन और मूंगफली का 0.085 करोड़ टन के लगभग उत्पादन होता है, जिसमें सरसों का उत्पादन देश में दूसरे नंबर पर आता है। सरसों उत्तर भारत की एक प्रमुख तिलहन फसल है। देश के पांच प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में राजस्थान का स्थान प्रथम हैं, जिसकी देश के कुल सरसों उत्पादन में 46.06 प्रतिशत भागीदारी है। इसके बाद हरियाणा 12.60 प्रतिशत, मध्य प्रदेश 11.38 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश 10.49 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल 7.81 प्रतिशत भागीदारी दे रहे हैं।
20 से 25 तक प्रतिशत बढ़ा सरसों का रकबा
आंकड़ों के अनुसार क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश में काफी बड़े क्षेत्रफल पर सरसों की खेती की जाती है। एक अनुमान के अनुसार इस वर्ष रबी मौसम 2021-22 में सरसों की खेती के अंतर्गत यह रकबा 20 से 25 तक प्रतिशत बढ़ा है। राजस्थान और हरियाणा की तुलना में मध्य प्रदेश में सरसों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम है, जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम प्राप्त होता है। यदि प्रयास किए जाएं तो मध्यप्रदेश भी भारत का अग्रणी सरसों उत्पादक राज्य बन सकता है। सरसों की फसल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित तिलहन विकास योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी प्रयास किए जा रहे हैं। यहां प्रथम पंक्ति तिलहन प्रदर्शनों के तहत चयनित किसानों के उन्नतशील किस्मों और वैज्ञानिक तरीके से सरसों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्रदर्शन, प्रशिक्षण आदि कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा नवीनतम कृषि उपकरणाें के बारे में भी जानकारी दी जाती है, जिससे किसान उत्पादन काे बढ़ा सके।